
मूढ़ बनाने का कारखाना - अनिवार्य स्कूली शिक्षा का छद्म पाठ्यक्रम Mudh Banane Ka Karkhana
लगातार बजने वाली घंटियाँ, एक कक्ष से दूसरे कक्ष में, प्रतिदिन आठ घंटे की कैद, आयु के अनुसार सब्जी-भाजियों की तरह विभाजन, निजता की कमी एवं निरंतर निगरानी और क्रियाशील समुदाय से पूरी तरह काटकर स्कूल के बाकी सभी पाठ्यकर्मो की रचना इस प्रकार की गयी है की हमारे बच्चो को यह न सीखने दिया जाये कि वे किस तरह सोच समझकर कार्य करें - वे हमेशा दुसरो पर निर्भर बने रहे।
तीस वर्ष तक सरकारी स्कूलों में पढ़ाने और लगातार पुरस्कार जीतने के बाद जॉन टेलर गेट्टो इस दुःखद निर्णय पर पहुंचे की स्कूलिंग का शिक्षा से कोई वास्ता नहीं है - बहुत ही थोड़ा सा - बल्कि युवाओं को यह सीखाना कि कैसे आर्थिक और सामाजिक प्रणाली की चाकरी की जाये। डंबिंग अस डाउन वर्त्तमान स्कूली शिक्षा प्रणाली की कई भयानक वास्तविकताओं को उजगार करती हैं और उन अभिभावकों के लिए एक पथ-प्रदर्शक "दूसरा और सही रास्ता" तलाशना चाहते है। यह पुस्तक भारतीय सन्दर्भ में भी उतनी ही प्रासंगिक है और हमे यह सोचने को बाध्य करती है कि हम कैसे हमारे बच्चो को शिक्षित करे - और किसके लिए।